पूजन के समय यह मंत्र बोलें...
ऊँ गं गणपतये नम:
इस तरह पूजन करने से भगवान श्रीगणेश अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं।
भगवन श्री गणपतिबप्पा के अद्भुत मंत्र--
पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा भगवान गजानन श्री गणेश को आसन समर्पण करना चाहिए-
नि षु सीड गणपते गणेषु त्वामाहुर्विप्रतमं कवीनाम् |
न ऋते त्वत् क्रियते किंचनारे महामर्कं मघवन्चित्रमर्च ||
न ऋते त्वत् क्रियते किंचनारे महामर्कं मघवन्चित्रमर्च ||
भगवान गणपति की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सिन्दूर अर्पण करना चाहिए-
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् |
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ||
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ||
इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को नैवेद्य समर्पण करना चाहिए-
नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू |
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम् ||
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च |
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम् ||
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च |
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद
भगवान गणेश की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें पुष्प-माला समर्पण करना चाहिए-
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो |
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः ||
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः ||
पूजा के दौरान गणेश जी के निम्न मंत्रों का प्रयोग करना चाहिए:
इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को दीप दर्शन कराना चाहिए-
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् |
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत
संकल्प मंत्र
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् |
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत
संकल्प मंत्र
गणपति पूजन के दौरान इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् | उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ||
गणपति पूजन के समय इस मंत्र से भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए-
खर्व स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम |
दंताघातविदारितारिरूधिरैः सिन्दूरशोभाकरं वन्दे शलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ||
दंताघातविदारितारिरूधिरैः सिन्दूरशोभाकरं वन्दे शलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ||
किसी भी कार्य के प्रारंभ में गणेश जी को इस मंत्र से प्रसन्न करना चाहिए:
श्री गणेश मंत्र ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
गणेश जी को प्रसन्न करने का एक मंत्र निम्न भी है:
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
निम्न मंत्र का जाप करने से गणेश जी बुद्धि प्रदान करते हैं:
श्री गणेश बीज मंत्र ऊँ गं गणपतये नमः ।।
गणेश जी के इस मंत्र द्वारा सिद्धि की प्राप्ति होती है।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
भगवन श्री गणपतिबप्पा की आरती--
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय...
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय...
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय...
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय...
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय...
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ जय...
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ जय...
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥ जय...
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥ जय...
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