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सफलता का मूल सूत्र

बड़ी सफलता प्राप्त करनी है तो पहले छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर उन्हे हासिल करें

छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के महान क्रांतिक्रारी राजा थे। उन्होंने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने अनेक वर्षों तक मुगल सम्राट औरंगज़ेब से संघर्ष किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इनका विशेष योगदान है। शिवाजी ने छापा मार युद्ध से मुगल साम्राज्य को परेशान कर दिया था। शिवाजी के जीवन से जुड़े अनेक प्रेरक प्रसंग हैं, उनमें से एक ये भी है.

प्रसंग
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एक वृद्ध महिला ने शिवाजी को बताया कैसे जीतें बड़ी लड़ाई?
1. बात उन दिनों की है जब छत्रपति शिवाजी मुगलों के विरुद्ध छापा मार युद्ध लड़ रहे थे। एक दिन रात को वे थके- मांदे एक वनवासी बुढ़िया की झोंपड़ी में पहुंचे।

# शिवाजी ने उस वृद्ध महिला से कुछ खाने के लिए मांगा। बुढ़िया के घर में केवल चावल थे, उसने चावल पकाए और उसे ही परोस दिया। शिवाजी बहुत भूखे थे, सो झट से भात खाने की आतुरता में उंगलियां जला बैठे।

# हाथ की जलन शांत करने के लिए फूंकने लगे। यह देख बुढ़िया ने उनके चेहरे की ओर गौर से देखा और बोली-सिपाही तेरी सूरत शिवाजी जैसी लगती है और साथ ही यह भी लगता है कि तू उसी की तरह मूर्ख है।

# वृद्ध महिला की बात सुनकर शिवाजी चौंक गए। उन्होंने बुढ़िया से पूछा- भला शिवाजी की मूर्खता तो बताओ और साथ ही मेरी भी।

# बुढ़िया ने उत्तर दिया- तुमने किनारे से थोड़ा- थोड़ा ठंडा भात खाने की बजाए बीच के सारे भात में हाथ डाला और उंगलियां जला लीं।

# यही मूर्खता शिवाजी करता है। वह दूर किनारों पर बसे छोटे- छोटे किलों को आसानी से जीतते हुए शक्ति बढ़ाने की अपेक्षा बड़े किलों पर धावा बोलता है और हार जाता है।

# शिवाजी को अपनी रणनीति की विफलता का कारण पता चल गया। उन्होंने बुढ़िया की सीख मानी और पहले छोटे लक्ष्य बनाए और उन्हें पूरा करने की नीति अपनाई।

# इस प्रकार उनकी शक्ति बढ़ी और अंततः वे बड़ी विजय पाने में समर्थ हुए।

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लाइफ मैनेजमेंट

2. सफलता की शुरूआत छोटे- छोटे संकल्पों से होती है, तभी बड़े संकल्पों को पूरा करने का आत्मविश्वास जागृत होता है। इस कहानी से यह सीख मिलती है कि पहले छोटे लक्ष्य बनाएं और फिर बड़े लक्ष्य के बारे में सोचें। ऐसा करने से सफलता जरूर मिलेगी, क्योंकि छोटा लक्ष्य प्राप्त करने पर बड़े लक्ष्य को पाने की ऊर्जा दोगुनी हो जाती है।

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