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Monday, March 12, 2018

मंगलवार व्रत विधि एवं कथा

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हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा होती है। इस दिन मंदिरों में हनुमानजी की विशेष पूजा का आयोजन होता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं ।नारद पुराण के अनुसार मंगलवार के व्रत से भयंकर चिंताओं का अंत होता है। साथ के साथ शनि की महादशा या साढ़ेसाती भी दूर हो जाती है।


मंगलवार व्रत विधि

मंगलवार का व्रत रखने वाले भक्तों को मंगलवार के दिन ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए प्रत्येक मंगलवार को सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं स्नान करने के बाद लाल रंग का वस्त्र धारण करने चाहिए | इसके बाद लाल फूल ,लाल सिंदूर ,लाल कपड़े हनुमान जी को चढ़ाने चाहिए और पूरे भक्ति भाव से हनुमान जी के सामने बैठकर दीपक जलाने के बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए |

शाम के समय हनुमान जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाकर बिना नमक का भोजन करना चाहिए | खीर का भी भोग लगाया जा सकता है |

मंगलवार के व्रत का फल 

मंगलवार के व्रत के बारे में मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है | उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। और शनि ग्रह से होने वाली परेशानियां भी दूर हो जाती हैं ।मांगलिक दोष वाले जातकों को मंगलवार का व्रत बहुत फायदा करता है।


हिंदू शास्त्रों के अनुसार मंगलवार को भगवान हनुमान जी की पूजा होती है । जो लोग मंगलवार का व्रत रखते हैं उनकी सुख, सम्मान, पुत्र की प्राप्ति जैसी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । आइए पढ़ें मंगलवार की व्रत कथा –

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मंगलवार व्रत कथा 

एक नगर में ब्राह्मण दंपत्ति रहता था | उनके कोई संतान नहीं थी जिसकी वजह से वह बहुत दुखी रहते थे। एक समय ब्राह्मण ने वन वन जाकर हनुमान जी की पूजा करने का निश्चय किया और उसने एक पुत्र प्राप्ति की कामना की | घर पर उसकी पत्नी भी मंगलवार को व्रत रखती थी | व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी।

एक दिन ब्राह्मणी भोजन नहीं बना पाई और भगवान हनुमान जी को भी भोग नहीं लगा सकी। उसने निश्चय किया कि वह अगले मंगलवार तक कुछ ग्रहण नहीं करेगी और वह 6 दिन तक बिना खाए – पिए रही | जब अगला मंगलवार आया तो वह बेहोश हो गई हनुमान जी उसकी त्याग और निष्ठा को देखकर प्रसन्न हुए उन्होंने आशीर्वाद दिया कि तुझे एक पुत्र की प्राप्ति होगी और वह तेरी बहुत सेवा करेगा। कुछ समय बाद ब्राह्मणी को एक पुत्र प्राप्ति हुई | बालक को पाकर ब्राह्मणी अति प्रसन्न हुई उस ने बालक का नाम मंगल रखा।

ब्राह्मण वन से वापस आकर उस बालक को घर पर देखता है और ब्राह्मणी से पूछता है कि यह बालक कौन है? ब्राह्मणी ने बताया मंगलवार के व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने यह बालक दिया है | ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ और ब्राह्मणी बाहर गई हुई थी तो ब्राह्मण ने बालक को कुएं में फेंक दिया।

घर पर लौटने पर ब्राह्मणी ने जब मंगल को घर में नहीं देखा तो वह घबरा गई और ब्राह्मण से पूछा कि मंगल कहां है? तभी मंगल पीछे से मुस्कुरा कर आ गया | उसे वापस देखकर ब्राह्मण बहुत आश्चर्यचकित रह गया | रात को हनुमान जी ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह बालक मैंने ही दिया है।

ब्राह्मण को यह सत्य जानकर बहुत खुशी हुई | इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति रोजाना मंगलवार व्रत रखने लगे | जो भी मनुष्य मंगलवार का व्रत निष्ठा और विश्वास से रखता है उसकी सारी मनोकामनाएँ सहज ही पूरी हो जाती हैं |

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