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Monday, March 12, 2018

बुधवार व्रत विधि एवं कथा

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बुधवार के देवता भगवान शिव या बुध देव हैं. बुधवार का व्रत विशाखा नक्षत्र में बुधवार के दिन से आरंभ करना चाहिए. इसे 17 या 21 सप्ताह तक करना चाहिए. इस योग के न मिलने की स्थिति में इस व्रत को किसी भी माह में शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से प्रारंभ किया जा सकता है.

व्रत विधि 

व्रत प्रारम्भ करने के दिन व्रती को प्रातः उठकर संपूर्ण घर की सफाई करनी चाहिए. तत्पश्चात स्नानादि से निवृत्त होकर संपूर्ण घर को पवित्र करने के उद्देश्य से गंगा जल का घर भर में छिड़काव करना चाहिए. उसके बाद घर के ईशान कोण में भगवान शिव या बुध का चित्र या मूर्ति कांस्य के बर्तन में स्थापित करना चाहिए. उनपर बेलपत्र, अक्षत, धूप और घी का दीपक जलाकर विधिवत पूजा करनी चाहिए.


इसके बाद निम्नलिखित मंत्र से भगवान बुध की प्रार्थना करें:

‘बुध त्वं बुद्धिजनको बोधदः सर्वदा नृणाम्‌. तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः’॥ 

बुधवार की व्रतकथा सुनकर आरती करें. इसके पश्चात गुड़, भात और दही का प्रसाद बाँटकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें.

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व्रत कथा 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था. वह बहुत धनवान था. मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की अति सुंदर, रूपवती और गुणवंती लड़की संगीता से हुआ था. एक बार मधुसूदन अपनी पत्नी संगीता को लेने बुधवार के दिन अपनी ससुराल बलरामपुर गया. मधुसूदन ने पत्नी के माता-पिता से संगीता को विदा कराने के लिए कहा. संगीता के माता-पिता मधुसूदन से बोले- 'बेटा, आज बुधवार है. बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते.' परन्तु मधुसूदन नहीं माना. उसने ऐसी शुभ-अशुभ की बातों को न मानने की बात कही. मधुसूदन के न मानने पर संगीता के माता-पिता ने उसे बिदा कर दिया. दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की. दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया. वहां से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की. रास्ते में संगीता को प्यास लगी. मधुसूदन उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने चला गया. थोड़ी देर बाद जब मधुसूदन कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह देखता है कि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा है. यह देखते ही मधुसूदन बुरी तरह परेशान हो गया. संगीता भी मधुसूदन को देखकर हैरान रह गई. वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई. मधुसूदन ने उस व्यक्ति से पूछा- 'तुम कौन हो? और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो?' मधुसूदन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई, यह मेरी पत्नी संगीता है. मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूँ. लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?' मधुसूदन ने चीखते हुए कहा- 'तुम जरूर कोई चोर या ठग हो. यह मेरी पत्नी संगीता है. मैं इसे पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने गया था.' इस पर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई! झूठ तो तुम बोल रहे हो. संगीता को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था. मैंने तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया है. अब तुम चुपचाप यहां से चले जाओ. नहीं तो सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूंगा.' दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे. उन्हें लड़ते देख बहुत से लोग वहां एकत्र हो गए. नगर के कुछ सिपाही भी वहां आ गए. सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के पास ले गए. सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया. संगीता भी उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी. राजा ने दोनों को कारागार में डाल देने के लिए कहा. राजा के फैसले पर असली मधुसूदन भयभीत हो उठा. तभी आकाशवाणी हुई- 'मधुसूदन! तूने संगीता के माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी ससुराल से प्रस्थान किया. यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है.' मधुसूदन ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि 'हे भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए. मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई. भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूंगा और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूंगा.' मधुसूदन के प्रार्थना करने से भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया. तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया. राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देख हैरान हो गए. भगवान बुधदेव की इस अनुकम्पा से राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया. कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें बैलगाड़ी मिल गई. बैलगाड़ी का टूटा हुआ पहिया भी जुड़ा हुआ था. दोनों उसमें बैठकर समतापुर की ओर चल दिए. मधुसूदन और उसकी पत्नी संगीता दोनों बुधवार को व्रत करते हुए अपने गांव में आनंदपूर्वक जीवन-यापन करने लगे. भगवान बुधदेव की अनुकम्पा से उनके घर में धन-संपत्ति की वर्षा होने लगी. जल्दी ही उनके जीवन में खुशियां ही खुशियां भर गईं. बुधवार का व्रत करने से स्त्री-पुरुष के जीवन में सभी मंगलकामनाएं पूरी होती हैं.

बुधवार व्रत के दिन क्या-क्या करना चाहिए? 
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बुधवार व्रत के दिन भगवान शिव को सफेद फूल तथा हरे रंग की वस्तुएं चढ़ाई जानी चाहिए तथा ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान देना चाहिए. इस दिन व्रती को हरे-पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इस दिन व्रती को एक समय ही बिना नमक का भोजन करना चाहिए. पन्ना रत्न धारण करना शुभ होता है. व्रतधारी को किसी भी रूप में व्रतकथा को बीच में छोड़कर, प्रसाद ग्रहण किए बिना कहीं नहीं जाना चाहिए. व्रत में हरी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए. मूंग का हलवा, हरे फल, छोटी इलाइची का विशेष महत्व है.

बुधवार व्रत से लाभ

बुधवार का नियमित व्रत करने से सर्व-सुखों की प्राप्ति होती है. जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता. इससे अनिष्टकारी ग्रहों की शांति होती है. इस व्रत को करने से बुद्धि बढ़ती है.

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